लेखनी कहानी -13-Sep-2022 मासूम सा सवाल
एक वृद्ध महिला कब से बेचैन खड़ी थी
नजर एयरपोर्ट के गेट पर ही गड़ी थी
उसका "लाल" टिकिट लेने गया था
एयरपोर्ट उसके लिए बिल्कुल नया था
"उसे इतना टाइम क्यों लग रहा है
मेरा दिल धक धक क्यों कर रहा है
अब तक तो उसे आ जाना चाहिए था
हमें अमरीका वाली फ्लाइट में बैठ जाना चाहिए था"
वह मासूम सा चेहरा लिए ताकती रही
कभी बाहर तो कभी अंदर झांकती रही
अपने "लाल" के लिए वह कितनी परेशान थी
एयरपोर्ट के तौर तरीकों से एकदम अनजान थी
उसकी परेशानी उसके चेहरे से झलक रही थी
मिनट दर मिनट उसकी सांसे गले में अटक रही थी
एक जवान से उस मां की परेशानी देखी ना गई
जाकर पूछा "मैं कुछ मदद कर सकता हूं क्या माई"
सहानुभूति के दो बोल सुन उसकी रुलाई फूट पड़ी
"बहुत थक गई हूं बेटा, यहां एक घंटे से खड़ी खड़ी
मेरा बेटा मुझे लेकर अमरीका जा रहा है
टिकिट लेने गया था पर कहीं नजर नहीं आ रहा है
टिफिन यहीं रह गया , वह भूख से तड़प रहा होगा
बहुत परेशान हूं उसके लिए , न जाने वो कैसा होगा"
इतना सुनकर जवान की आंखें भर आईं
भगवान, तूने ये मांएं ऐसी मासूम सी क्यों बनाईं
"उसे कैसे बताये कि अमरीका वाली फ्लाइट तो जा चुकी है
एक मासूम सी मां अपने ही बेटे से धोखा खा चुकी है"
इस मतलबी दुनिया में कोई अपना सगा नहीं
ऐसा कौन है जिसे अपनों ने कभी ठगा नहीं
जवान उस मासूम मां के लिए देवदूत बन गया
उसे अपने घर ले गया और उसका बेटा बन गया
रिश्ते धन दौलत से नहीं, दिल से बनते हैं
अपनापन ना हो तो अपने गैर से लगते हैं
दिल अगर जुड़ जाये तो पराये सगे हो जाते हैं
मीठी बोली से लोग प्रीत में पगे हो जाते हैं
श्री हरि
13.9.22
आँचल सोनी 'हिया'
14-Sep-2022 07:32 PM
Achha likha hai 💐
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Arman
14-Sep-2022 08:13 AM
गेरो से प्यार मिलता है अपनो से तो केवल दगा
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
14-Sep-2022 07:02 AM
Wahhhh बहुत ही खूबसूरत,,, अंतिम चार lines बहुत ही उम्दा
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